शुभ होली कुछ श्रद्धा , कुछ दुष्टता ,कुछ संशय ,कुछ ज्ञान । घर का रहा न घाट का , ज्यों धोबी का स्वान अज्ञान का अर्थ ज्ञान का अभाव नही है- जैसी कि अज्ञान की हम आम राय में शाब्दिक परिभाषा करते है अधूरे ज्ञान को पूर्ण ज्ञान मान लेना ही अज्ञान है । मेरे प्रिय मित्रो ,शुभ चिन्तको , मेरे नौजवान साथियों मेरे बुजुर्ग मित्रो , थोड़ी दृष्टि विस्तार करो तो तुम्हें भी यह साफ साफ दिखने लगेगा किआज भारत ही नही सम्पूर्ण विश्व कि मनुष्यता कमोवेश इस प्रकार के अज्ञान से ग्रस्त है । परिणाम सामने हैहमने जो कुछ पाया उसकी हजारों गुनी कीमत चुकाई है। विकास के लिए हमने प्रकृति को विनष्ट किया , प्रति स्पर्धा में हमने प्रेम गवा दिया । बुद्धि के बदले ह्रदय और स्वहित के बदले हमने सुब कुछ खो डाला । आज प्रेम एवं समर्पण के पावन त्यौहार "होली " का प्रेम मई संदेश आप के चिंतन के लिए -भाव पूर्ण ह्रदय से पेश कर रहा हूँ । निश्चय ही आप के प्रेम रंग में मेरी आत्मा तक सराबोर हो जायेगी । न कुछ हम हंस के सीखे है , न कुछ हम रो के सीखे है । जो कुछ थोड़ा सा सीखे है , किसी के हो के सीखे है । प्रेम मई होली पर रंग - बिरंगी शुभकामनाओं के साथ :- स्वामी सत्येन्द्र माधुर्य ।
Thanks, thank you very much for visiting this blog. It has been a pleasant feeling from a like minded friend, so early on this blog. I am still in the process of setting up the blog. Hearty reciprocation of wishes for Holi; please keep in touch and advising me and guiding me in setting up of this blog, which I want to present as a meaningful gift for this world.
Been into higher spirituality for last nearly nine years. It was perhaps the DIVINE wish to bless me with some healing abilities for a mission of selfless service to mankind. It started with homeopathy, then into the 'Spiritual Science-Radionic', then "THE HEALING CARDS" and the ASHRAM.....For description please visit the main blog www.viewunderstanding.blogspot.com, Label 'The Author'
शुभ होली
ReplyDeleteकुछ श्रद्धा , कुछ दुष्टता ,कुछ संशय ,कुछ ज्ञान ।
घर का रहा न घाट का , ज्यों धोबी का स्वान
अज्ञान का अर्थ ज्ञान का अभाव नही है- जैसी कि अज्ञान की हम आम राय में शाब्दिक परिभाषा करते है
अधूरे ज्ञान को पूर्ण ज्ञान मान लेना ही अज्ञान है । मेरे प्रिय मित्रो ,शुभ चिन्तको , मेरे नौजवान साथियों मेरे बुजुर्ग मित्रो , थोड़ी दृष्टि विस्तार करो तो तुम्हें भी यह साफ साफ दिखने लगेगा किआज भारत ही नही सम्पूर्ण विश्व कि मनुष्यता कमोवेश इस प्रकार के अज्ञान से ग्रस्त है ।
परिणाम सामने हैहमने जो कुछ पाया उसकी हजारों गुनी कीमत चुकाई है। विकास के लिए हमने प्रकृति को विनष्ट किया , प्रति स्पर्धा में हमने प्रेम गवा दिया । बुद्धि के बदले ह्रदय और स्वहित के बदले हमने सुब कुछ खो डाला ।
आज प्रेम एवं समर्पण के पावन त्यौहार "होली " का प्रेम मई संदेश आप के चिंतन के लिए -भाव पूर्ण ह्रदय से पेश कर रहा हूँ । निश्चय ही आप के प्रेम रंग में मेरी आत्मा तक सराबोर हो जायेगी ।
न कुछ हम हंस के सीखे है , न कुछ हम रो के सीखे है ।
जो कुछ थोड़ा सा सीखे है , किसी के हो के सीखे है ।
प्रेम मई होली पर रंग - बिरंगी शुभकामनाओं के साथ :- स्वामी सत्येन्द्र माधुर्य ।
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